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Showing posts from October, 2019

पत्नी की बीमारी का खर्च नहीं उठा सकता परामर्श केंद्र में चल रही काउंसलिंग, ली जा रही विधिक सलाह और डाक्टरी राय।

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सामना टीवी से दीपांश श्रोती की रिपोर्ट महिला थाने के परामर्श केंद्र में एक ऐसा मामला पहुंचा जिसमें पति ने पत्नी को अपने साथ रखने इंकार कर दिया है। उसका कहना है कि उसकी पत्नी को जैनेटिक बीमारी उसके ससुराल वालों ने बीमारी छिपाकर शादी की है। इधर पत्नी का कहना है कि शादी के पहले उसे पता नहीं था कि उसे कोई जैनेटिक बीमारी है। मामला परामर्श केंद्र में काउंसलिंग में है। इस मामले में विधिक सलाह ली जा रही है।  महिला थाने में 20 अक्टूबर प्रीति शर्मा ने शिकायत की है कि उसका पति उसे साथ नहीं रखना चाहता इसलिए उसे भरण-पोषण दिलाया जाए। महिला थाने की काउंसलर रीता तुली ने बताया कि महिला की शिकायत पर जब पति गौतम शर्मा को काउंसलिंग के लिए बुलाया गया उसने बताया कि उसकी पत्नी को सिक्लिंग सेल एनिमिया नाम की बीमारी है। यह बीमारी जैनेटिक है। उसकी शादी 6 जून 2014 को हुई है। जब से यह शादी करके घर आई है तब से दवाईयों का खर्च बढ़ गया है। वह एक प्राइवेट कंपनी में नौकरी करता है उसका वेतन इतना नहीं है कि वह जिंदगी भर बीमारी पर लगने वाली दवाईयों का खर्च उठा सके। उसका कहना है कि इस बीमारी के बारे में रेड क्रॉस के डॉ. व

उपभाेक्ता फाेरम ने यूनीवर्सल साेम्पाे जनरल इंश्याेरेंस कंपनी के खिलाफ सुनाया फैसला।

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अस्पताल व्यक्ति शाैक से नही बल्कि जीवन संकट में अाने पर जाता है इसलिए देना हाेगी क्लेम की राशि अाैर हर्जाना उपभाेक्ता फाेरम ने यूनीवर्सल साेम्पाे जनरल इंश्याेरेंस कंपनी के खिलाफ सुनाया फैसला सिटी रिपाेर्टर : दीपांश श्रोती भाेपाल। इंश्याेरेंस कंपनी केवल यह कहकर मेडीक्लेम इसलिए खारिज नहीं कर सकती कि व्यक्ति के जाेड़ाे में दर्द था। काेई भी व्यक्ति शाैक से अस्पताल में भर्ती नहीं हाेता। जब जीवन पर संकट अाता है तब अस्पताल में भर्ती हाेना व्यक्ति की मजबूरी हाेती है। यह टिप्पणी उपभाेक्ता फाेरम की बेंच ने यूनिवर्सल इंश्याेरेस कंपनी अाैर उसकी टीपीए डेडीकेटड हेल्थ केयर सर्विसेंज के खिलाफ फैसला सुनाते हुए की। दरअसल इंश्याेरेंस कंपनी ने उपभाेक्ता का मेडीक्लेम यह कर खारिज कर दिया था कि जाेड़ाें का दर्द का इलाज डाक्टर से सलाह लेकर घर पर किया जा सकता है इसके लिए अस्पताल में भर्ती हाेने की क्या जरूरत है। मामले में फाेरम ने कंपनी काे क्लेम की राशि 22,497 रुपए क्लेम िनरस्त की तारीख 13 फरवरी 2014 से 9 प्रतिशत ब्याज की दर से भुगतान करें। इसके साथ अाठ हजार रुपए हर्जाना दें। मामले की सुनवाई फाेरम के अध्यक्ष

राजा टी-17 अाैर पर्यटकाें के बीच मुन्ना के नाम से सबसे ज्यादा मशहूर रहा बाघ अब वन िवहार नेशनल पार्क की शान बनेगा।

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सिटी रिपाेर्टर: दीपांश श्रोती भाेपाल। कान्हानेशनल पार्क का राजा टी-17 अाैर पर्यटकाें के बीच मुन्ना के नाम से सबसे ज्यादा मशहूर रहा बाघ अब वन िवहार नेशनल पार्क की शान बनेगा। वाइल्ड लाइफ मुख्यालय ने कान्हा पार्क प्रबंधन काे मुन्ना काे वन विहार भेजने का अादेश दिया। मुख्यालय ने यह निर्णय इसलिए लिया कि जंगल के हिसाब से वह बूढ़ा हाे चुका है। उसके इलाके में युवा बाघाें का मूवमेंट था। जिससे टेरेटरीज फाइट की वजह से उसकी माैत हाेने का डर था। उसने एक वृद्ध व्यक्ति का शिकार किया था। मुन्ना काे जंगल में ट्रेक करने के लिए कई दिनाें से टीम लगी थी। उसे हाथी अाैर महावताें की टीम ने उसे मंगलवार काे ट्रेक कर लिया। मुन्ना काे बुधवार काे बम्हनी परिक्षेत्र में ट्रेक करते हुए उसे बेहाेश कर वन विहार के लिए रवाना कर दिया गया। मुन्ना अब सुबह तक वन विहार पहुंच जाएगा। वन िवहार प्रबंधन ने उसके लिए ऊपर विशेष बाड़ा तैयार किया है। वन विहार की डायरेक्टर कमालिका माेहंता ने बताया कि मुन्ना काे हाउसिंग में छाेड़ने से पहले उसका स्वस्थ परीक्षण किया जाएगा। इसलिए है खास मुन्ना बाघ मुन्ना दबंग, खूंखार और अपनी विशेष किस्म की श

क्या शिवराज पर कर पाएंगे एफआईआर ?

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450 करोड़ के पौधा रोपण घोटाले में.. By Sabkikhabar     -जिस अफसर पर एफआईआर की जिम्मेदारी वह भी कटघरे में भोपाल। मप्र के वनमंत्री उमंग सिंघार ने शुक्रवार को पत्रकार वार्ता बुलाकर  जोर-शोर से घोषणा तो कर दी है कि प्रदेश में फर्जी पौधारोपण के नाम पर हुए  450 करोड़ के घोटाले में तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के खिलाफ ईओडब्ल्यू में एफआईआर की जाएगी। लेकिन अभी तक वन विभाग ने न तो एफआईआर की प्रस्ताव तैयार किया है, न ही इसे सामान्य प्रशासन विभाग को भेजा है और न ही अभी तक मुख्यमंत्री कमलनाथ ने इसे हरी झंडी दी है। वनमंत्री उमंग सिंघार ने पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, पूर्व वनमंत्री डॉ. गौरीशंकर शेजवार और वन विभाग के लगभग आधा दर्जन अधिकारियों को जुलाई 2017 में हुए फर्जी पौधारोपण के लिए जिम्मेदार मानते हुए वन विभाग के अपर मुख्य सचिव एपी श्रीवास्तव को इस मामले को  ईओडब्ल्यू  को  सौंपने के निर्देश दिए हैं लेकिन मंत्रालय और ईओडब्ल्यू के अधिकारियों का मानना है कि मंत्री की घोषणा करने से किसी जिम्मेदार व्यक्ति के खिलाफ एफआईआर नहीं होती। इसके लिए प्रक्रिया है। वन विभाग को प्रारंभिक जांच क